Dopamine Detox कैसे करें ? in Hindi

ये सबको पता है की exercise करने से body healthy रहती है, ये सबको पता है की किताबे पढ़ने से knowledge मिलती है और ये भी सबको पता है कि social media को बिना वजह use करना सिर्फ समय की बर्बादी है।

पर फिर भी क्यों कुछ लोग exercise नही करते, फिर भी कुछ लोग बुक क्यों नही पढ़ते और फिर भी कुछ लोग social media पर time waste क्यों करते हैं?

इसका जवाब छिपा है हमारे दिमाग के एक छोटे से hormone में, जिसे हम कहते हैं dopamine

जब भी हम कोई काम करते हैं तो उससे हमारे mind में कुछ set of hormones release होते हैं, उनमें से ही एक है dopamine. इसे pleasurable hormone भी कहा जाता है, यानि जिसके mind में release होने से हमे अच्छा feel होता है।

For example, जब आपको भूख लगी होती है और आप कुछ खाते हैं तो आपका mind dopamine release करता है, जिससे हम अच्छा feel करते हैं।

पर dopamine सिर्फ अच्छा feel नही करवाता, ये किसी काम को बार बार करने की desire भी पैदा करता है, यानि हमारी habits को बनाने में भी बड़ा role play करता है।

एक बार dopamine के बारे में और जानने के लिए कुछ scientists की team ने चूहों पर एक experiment किया, उन्होंने एक box में एक चूहे को रखा और उस box में एक lever लगा दिया। जब भी वो चूहा उस lever को press करता तो वो scientists उसके mind में dopamine inject करते।

इसी dopamine की वजह से उस चूहे ने lever को बार बार press करना शुरू कर दिया। वो बिना खाए पिए बस lever को press किए जा रहा था।

इसके बाद जब उन scientists ने उस चूहे के lever खींचने पर उसको dopamine देना बंद कर दिया, तो वो चूहा पूरी तरह से अधमरा हो गया।

उसके सामने खाना और पानी रखा होने के बावजूद, उसके अंदर इतनी भी ताकत और motivation नहीं बची थी की वो उठ कर अपना खाना खा सके।

जब scientists उसके मुंह में खाना रख देते तब तो वो खा लेता पर वो खाने तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाना चाहता था। यानि इतने सारे easy dopamine ने उसको इतना कमजोर कर दिया था।

की अब उसके अंदर कुछ भी करने की कोई desire नही बची थी।

अब ये experiment भले ही थोड़ा extreme था, पर इससे हम dopamine के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं।

जिस तरह उस चूहे को lever खींचने पर वो scientist dopamine देते थे, उसी तरह लोगो के social media apps को open करने पर उन्हे dopamine मिलता है।

और जब एक time के बाद वो उस social media से addict हो जाते हैं, तब उसके बाद उनके अंदर कुछ भी दूसरा meaningful काम करने की क्षमता नहीं बचती।

Dopamine अपने आप मे बुरा नही, infact ये तो हमारे survival के लिए inportant है क्योंकि अगर हमें खाना खाने पर dopamine नही मिलेगा तो हम अगली बार खाना खाने और अपने खाने का इंतजाम करने की कोशिश ही क्यों करेगे?
पर problem तब आती है जब ये dopamine हमको बहुत आसानी से और बहुत ज्यादा quantity में मिलने लगता है। जैसा की social media, Television, movies और junk food के case में होता है।

इन चीजों से हमारे अंदर बहुत ही easily, high amount में dopamine release होता है।
जो की हमारे लिए कतई अच्छा नहीं है।

और यही reason है की बहुत से लोग जानते समझते हुए भी, exercise करने, book पढ़ने जैसे meaningful काम भी नहीं कर पाते। क्योंकि exercise करने में effort लगता है, थोड़ा दर्द झेलना पड़ता, थोड़ा पसीना बहाना पड़ता है, तब जाकर exercise करने के बाद आपको अच्छा feel होता है।

Books के case में भी यही है, पूरे focus से एक एक word को समझना पड़ता है, इतनी मोटी book को पूरा पढ़ना पड़ता है, तब जाकर आपको कुछ knowledge मिलती है और आपको अच्छा feel होता है, dopamine release होता है।

और जब हमारा दिमाग exercise करने को social media use करने से compare करता है, तो वो social media की तरफ ज्यादा attract होता है, क्योंकि वहां easy dopamine है। बस बैठे बैठे content consume करना है।

जबकि वो जानता है की exercise हमारे future के लिए अच्छी है, हमारे लिए right choice है, पर फिर भी exercise करने से होने वाले struggle के चलते, वो आपको exercise करने के लिए motivate नही करता।

इसके साथ साथ social media apps जैसे facebook और instagram ऐसे specialized engineers को hire करती हैं जो उनके app को और ज्यादा addictive बना सके।

जब जब आप social media apps के icon पर click करते हैं, जब आप किसी दूसरे की post like करते हैं, जब कोई आपकी post को like करता हैं, कोई आपके comment पर react करता है, तो आपके mind में dopamine release होता है।

आज के modern time में हमारी society की हर चीज ऐसे ही गलत चीजों से भरी पड़ी है जो हमे easy dopamine दे देती है।

अब आप सोच रहे होगे की आखिर इस easy और cheap dopamine के साथ में problem क्या है?

तो सबसे बड़ी problem है की इससे हमे कोई long term benefit नही होता।

जैसे अगर आप junk food खा रहे हैं, तो आपको थोड़ी देर के लिए अच्छा feel हो रहा है, क्योकि आपका mind dopamine release कर रहा है, पर थोड़ी देर बाद आपको guilt होगा की आपने unhealthy food खाया।

और इसके साथ साथ long run में आपको कई health problems भी हो सकती है।

वहीं अगर आपने exercise की, तो आपको थोड़ा temporary pain और struggle सहना पड़ा, पर उसके बाद आपको दिन भर अच्छा लगेगा की आपने अपने mind को control करके वो किया जो सही था भले ही वो करना थोड़ा मुश्किल था।

तो ये चीज आपको long run में अच्छी health तो देगी ही पर साथ साथ आपका एक sense of satisfaction और sense of confidence भी बढ़ेगा।

आप social media पर बहुत active हो, daily post करते हो, अपने online friends से chat करते हो, अपने likes और comments दूसरो से compare करते हो। तो ये आपको temporary pleasure देगा, पर आपका कोई benefit तो नही होने वाला, हा हो सकता है की आपके कुछ नए internet friends बन जाए, पर खुद से पूछो की क्या वो लोग सच में आपके दोस्त है? क्या वो आपके मुश्किल time में आपके काम आयेंगे, नही आयेंगे।

पर वही आप real life में लोगो से मिलते, उनसे एक connection बनाते हो, उनके बारे में जानते हो, उनसे उनका experience share करते हो। तो इससे आप लोगो से अच्छे connections भी बना पायोगे, आपका network भी बढ़ेगा, और ये लोग आपकी मुश्किल time में काम भी आयेंगे।

Lesson ये है की ये social media, junk food, video games और songs जैसी चीजों का जो easy और cheap dopamine होता है ये बहुत ही temporary होता है। और ये हमारी जिंदगी को किसी तरह से improve नही करता, ये बस हमे एक fake feeling देता है।
जबकि जो काम असली में meaningful होते हैं वो भले ही करने में थोड़े मुश्किल लगते हैं पर उनको करने से हमे लंबे time अच्छा result मिलता है और हमारी overall happiness अच्छी रहती है।

और इसीलिए हमे इस fake dopamine से बचने की जरूरत है। और जो काम हमे करने चाहिए, जो काम जरूरी हैं, उनके करने की जरूरत है।

याद रखो की कोई feeling, emotion या hormone बुरा नही होता, बल्कि उसके release होने के पीछे का source अच्छा या बुरा होता है।

आप पूरे महीने काम करते हो तब जाकर आपको salary मिलती है और salary मिलने पर आपको अच्छा feel होता है, आपका mind dopamine release करता है, जिसकी वजह से आप काम करने के लिए motivated रहते हो।

पर वहीं अगर आप शराब पीते हो तो आपका mind dopamine release करता है, पर वो temporary होता है और थोड़े time बाद आप बुरा feel करते हो क्योंकि आपने खुद पर control नही कर पाया और ये जानते हुए भी की एक काम आपके लिए गलत है, आपने वो किया। तो इस तरह एक ही dopamine हमारे लिए अच्छा और बुरा हो सकता है।

बस फर्क होता है उसके release करने के source का।

तो अबतक आप dopamine क्या है, उसका काम क्या है और कैसे fake dopamine ने लोगो के mind को hijack कर लिया है। ये सब समझ लिया होगा।

और आप ये भी समझ गए होगे की आपको वो काम करने की जरूरत है जो न सिर्फ आपको temporary dopamine दे बल्कि आपका आने वाला future भी bright करे।

तो अब मुद्दे की बात पर आते हैं की dopamine detox क्या है, इसको कैसे करना है, और इसको करने के क्या फायदे हैं?

तो देखो dopamine detox का simple मतलब ये है की आपको हर उस चीज को एक specific period of time के लिए नही करना है जो आपके mind में excessive dopamine release करती है।

जैसे for example, आप ये कर सकते हो कि, मै हर दिन 12 से 5 बजे तक कोई भी social media app नही use करूंगा। या मैं हर wednesday को fast रखूंगा, कुछ नही खायूंगा।

अब ये कुछ लोगो को थोड़ा extreme लगेगा पर अगर आपको बड़ा और fast result चाहिए तो थोड़ा दर्द तो उठाना पड़ेगा।

मेरी राय में Dopamine detox के time period में आपको music, movies, social media, food, party वगैरा से दूर रहना चाहिए।

आप चाहो तो walk के लिए जा सकते हो, अपनी life को analyze कर सकते हो, pen और paper लेकर उनपर अपने thoughts लिख सकते हो, पानी पी सकते हो और सभी essential activities कर सकते हो।

अब आप में से कुछ लोग सोच रहे होगे की आखिर में इससे होगा क्या, इसके benefit क्या है?

तो देखो, जब आप बिना social media, junk food, funny videos और songs, movies के बिना रहोगे तो आप बहुत ज्यादा bore होने वाले हो।

और यही बोरियत आपके अंदर mental tolerance और strength को build करेगा, जिससे आपको जो काम पहले bore करने वाले और मुश्किल लगते थे, अब वो easy और exciting लगने लगेंगे।

For example, आप एक 5 star hotel में रोज खाना खाते हो, तो अब आपको वो खाना normal लगने लगा है, और कोई आपसे कहेगा की भाई दाल चावल खाले तो आप साफ मना कर दोगे क्योंकि वो आपको boring और tasteless लगेगा, क्योंकि आपके mind ने 5 star वाला खाना खाने की आदत बना ली है।

पर अब मान लो, आप किसी island में फस जाते हो, जहां दूर दूर तक खाने को कुछ नही है, पानी के भी लाले हैं, तो ऐसे में अगर कोई आपको एक कटोरी दाल और चावल भी दे देता है तो वो आपके लिए शाही पनीर से भी बढ़कर होगा, तब वो आपको boring नही, बल्कि बहुत ही tasty लगेगा।

क्यों? क्योंकि इतने time तक भूखे रहने के बाद आपके mind ने कुछ न खाने की stage को normalize कर दिया और ऐसे में अगर आपको कुछ भी रूखा सूखा खाने को मिलेगा तो वो भी आपको खाने में अच्छा लगेगा।

ठीक इसी तरह जब आप कुछ time के लिए, सभी excessive dopamine वाली habits को अपनी life से उखड़ फेकोगे तब उसके बाद जब आप कम dopamine वाले काम भी करोगे जैसे book पढ़ना, stranger से बात करना, अपने office का काम करना, exercise करना, और घर से बाहर टहेलने जाना, ये सब भी आपको अच्छे लगेंगे, क्योंकि काफी time तक bore होने की वजह से आपका mind अब reset हो चुका है।

तो dopamine detox को आप एक तरह का mind reset भी बोल सकते हो, जिसमे आप अपने mind को इतना bore करते हो, dopamine के लिए इतना तड़पाते हो की वो मुश्किल काम भी आसानी से करने लग जाता है।

पर एक बात याद रखना, आपको regularly excessive dopamine वाली habits को remove करना होगा।

ऐसा नहीं की आपने बस एक दिन dopamine detox किया और उसके बाद आप फिर से उन गलत आदतों में पड़ गए।

Discipline सबसे important हैं, इसलिए regularly excessive dopamine release करने वाली habits को अपनी life से detox करते रहो।

बहुत से जाने माने लोग dopamine detox करते हैं और वो बताते हैं की कैसे dopamine detox ने उनकी life change कर दी, मै आशा करता हूं की इस Article से आप लोगो की जिंदगी भी बदल सकू।

अगर आपका कोई question है तो comment box में जरूर बताना।

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