7 Powerful Life Lessons from Swami Vivekananda in Hindi
उठो, जागो और तबतक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लेते।
ये शब्द है 19वी शताब्दी के सबसे महान yogi, philosopher और भारत देश की शान, स्वामी विवेकानंद जी के।
अपनी 37 साल की जिंदगी में विवेकानंद जी ने वो कर दिखाया जो तब कोई सोच भी नहीं सकता था।
और उनके chicago भाषण को कौन भूल सकता है? उनकी उस शानदार speech को सुनने के बाद auditorium में बैठे 7,000 लोगो ने कई मिनटों तक गड़गड़ाहट से तालियां बजाईं।
स्वामी विवेकानंद की जिंदगी से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, तो आज के इस video में मैं आपको उनकी life से 7 biggest life lessons बतायूंगा, तो अब बिना time waste किए शुरू करते हैं।
Lesson No. 1) If I Love Myself Despite Of My Many Shortcomings, How Can I Hate Someone If They Have a few Shortcomings
“मुझमें इतनी कमियां होने के बावजूद भी अगर मैं खुद को प्रेम कर सकता हूं, तो दूसरों में कुछ कमियां होने की वजह से मैं उनसे नफरत कैसे कर सकता हूं”
स्वामी विवेकानंद एक बहुत ही selfless इंसान थे। वो कभी भी अपने personal benefit की नही सोचते थे। वो हमेशा से ही जरूरतमंदो की मदद करते थे और सबका भला सोचते थे।
इसी बात पर उनकी एक story बहुत popular है। Chicago जाने से पहले जब स्वामी विवेकानंद मां शारदा के पास गए, तो उन्होंने उनसे कहा कि “मां, मैं भारत की सभ्यता का प्रचार करने और लोगो की मदद करने के लिए chicago जाना चाहता हूं, क्या आपकी आज्ञा है?”
तो मां शारदा ने उनसे कहा “जरा, मुझे वो चाकू उठा कर देना” तो vivekananda ने मां शारदा को चाकू उठा कर दे दिया।
इसके बाद मां शारदा बोली “ठीक है, अब तुम जा सकते हो”
तो विवेकानंद ने पूछा की आपने तो न मुझसे कोई सवाल किया, न मेरी कोई परीक्षा ली और आप मुझे जाने को कह रही हो?
तो मां शारदा ने जवाब दिया “जो मैने तुमसे अभी चाकू मांगा, यही तुम्हारी परीक्षा थी। ज्यादातर लोग जब किसी को चाकू पकड़ाते हैं तो लकड़ी वाला हिस्सा खुद पकड़ते हैं और सामने वाले को नुकीला हिस्सा पकड़ाते हैं।
पर तुमने नुकीला वाला हिस्सा खुद पकड़ा और लकड़ी वाला हिस्सा मुझे पकड़ाया, ताकि अगर चोट लगनी भी है तो तुम्हे लगे, मुझे नहीं, इससे ये साफ होता है की तुम दूसरो की भलाई के लिए अपना नुकसान भी कर सकते हो, और इसीलिए मैं तुम्हे जाने की आज्ञा दे रही हूं।”
स्वामी विवेकानंद जिससे भी बात करते थे बहुत ही humbly बात करते थे। यहा तक की जब कोई उन्हे insult करता था, तब भी वो उसका reply बहुत humbly करते थे।
जब विवेकानंद university में पढ़ रहे थे, तब उनका एक professor उनके indian होने की वजह से उनसे बहुत चिढ़ता था। तो एक बार इस professor ने class के कभी बच्चो का written test लिया।
उसके बाद जब वो professor सभी बच्चो की test sheet लेने बैठा तो उसने स्वामी विवेकानंद की copy को check किया बिना ही, उसके end में idiot लिख दिया।
तो जब vivekananda ने अपनी copy देखी तो copy checked नहीं थी और उसके end में idiot लिखा हुआ था। तो उन्होंने अपने professor को बहुत ही humbly कहा “sir आपने copy पर अपने signature तो कर दिए पर लगता है आप copy check करना भूल गए” 😆।
तो वो हर इंसान से भले ही हमेशा humbly बात करते थे, लेकिन इस चीज को वो कभी अपनी weakness भी नहीं बनने देते थे, यानी अगर कोई उनके साथ गलत करता था तो वो उसका खुल के विरोध भी करते थे, पर उसको respect देते हुए और उससे जो भी कहते थे वो बिना किसी गुस्से के कहते थे।
अगर इस point को summarise करूं, तो swami vivekanand किसी के लिए भी दिल में hate नही रखते थे। और वो हमे भी किसी को hate ना करने के लिए बोलते हैं।
वो कहते हैं की हम सभी में कुछ न कुछ कमियां हैं और अगर हम दूसरो को judge करने की बजाए खुद को improve करेंगे, तो शायद सामने वाला भी हमे देख कर खुद को improve करने के लिए inspire होगा।
Lesson 2: Remove Everything from your life that makes you weak in anyway
“जीवन से हर उस चीज को निकाल दो जो आपको किसी भी तरह से कमजोर करती है।”
क्या आपको पता है की स्वामी विवेकानंद ने नंगे पैर पूरे भारत में travel किया था। वो हमेशा से ही खुद को मजबूत बनाने की बात पर जोर देते थे।
उनका एक और quote है जिसमे वो कहते हैं की ये दुनिया एक तरह का अखाड़ा है जहां हम सब खुद को मजबूत बनाने के लिए आए हैं।
वो कहते हैं की अगर कोई भी चीज, कोई भी काम आपको physically, mentally या spiritually weak बना रहा है तो वो आपके लिए जहर है, उसको जितना जल्दी हो सके छोड़ दो।
एक इंसान जो physically weak है, वो कभी भी self realisation नही कर सकता, इसीलिए खुद को हर तरह से train करो और अपने comfort zone को छोड़ कर, वो काम करो जो आपको strength देंगे।
Lesson 3: Arise, Awake and stop not till the goal is reached
“उठो, जागो और तबतक मत रुको, जबतक लक्ष्य हासिल न हो जाए।”
ये स्वामी विवेकानंद का सबसे famous quote है, इसमें वो आलस को छोड़कर, अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए लोगो को inspire कर रहे हैं।
जो लोग थक कर बैठ गए है, आलसी हो गए हैं, सोच रहे है की अब उनकी जिंदगी का कुछ नही हो सकता, स्वामी जी उन्हे कह रहे हैं की उठो।
जो लोग अपने लक्ष्य से भटक गए हैं, गलत संगत और गलत आदतों में फस गए, वो उन्हे कह रहे है की जागो।
और जिन लोगो ने हार मान ली है, स्वामी जी उन्हे कह रहे हैं की कोशिश करते रहो और तबतक मत रुको जबतक लक्ष्य तक नही पहुंच जाते।
यहां वो एक साथ wisdom, hard work और discipline की power को 2 lines में समझाते हैं।
इसके बाद उनका अगला life lesson है:-
Lesson 4: Thinking yourself as a weak is the biggest sin
“खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है”
स्वामी विवेकानंद का मानना था की आपका mindset, आपका attitude ही आपकी life को shape देता है। जैसा आप मानते हो, सोचते हो, वैसे ही आप act करते हो, और वैसा ही आपको result मिलता है। In short, जैसा आप मानते हो वैसे ही आप बनते हो। और इसीलिए वो कहते हैं की खुद को कमजोर समझना पाप है।
उनकी जिंदगी का ही एक किस्सा सुनाकर आपको समझाता हूं।
एक बार स्वामी जी train में travel कर रहे थे, तभी तीन american लड़कियां वहां आई। उन्होंने देखा की ये तो कोई साधू बैठा हुआ है; भोला भाला होगा, चलो इसको बेवकूफ बनाते हैं।
तो वो तीनो लड़कियों स्वामी जी के पास पहुंची। स्वामी जी एक बहुत ही अच्छी घड़ी पहने हुए थे। तो उन लड़कियों में से एक लड़की बोली, “एई, साधु, अपनी घड़ी निकालकर हमे दे दो वरना हम यहां शोर मचाएंगे की तुम हमे छेड़ रहे थे”
तो स्वामी जी शांत बैठे रहे उन्होंने कोई reaction नही दिया। अब वो लड़की दोबारा बोली “एई, तुमसे कह रही हूं, ये घड़ी हमे दे दो वरना हम सबसे कहेंगे की तुम हमारी इज्जत पर हाथ डाल रहे थे।
तो इस बार स्वामी जी ने इशारा करते हुए कहा “आ, आ, आ, आााा। यानि वो इशारा करते हुए कहने लगे की मैं बोल और सुन नही सकता।
तो वो लड़की बोली की ” अच्छा सुन और बोल नही सकता!
तो स्वामी जी ने कागज दिखाते हुए उसपर लिखने का इशारा किया। तो वो लड़की समझ गईं की अच्छा पढ़ सकता है, ठीक हैं इसको लिखकर देती हूं।
तो उस लड़की ने स्वामी जी को एक कागज़ पर लिख के दिया की अपनी घड़ी निकाल कर हमे दे दो, वरना हम police को बुलाएंगे और शोर मचाएंगे की तुम हमे छेड़ रहे थे।
तो स्वामी जी ने वो कागज अपनी जेब में रखा और फिर मुस्कुराते हुए बोले “अब मचाओ शोर, और बुलाओ police को।”
तो स्वामी जी टेढ़े लोगो की ईट से ईट बजाना जानते थे। और इसके लिए वो ना कभी गुस्सा करते, ना कोई मार पीट।
वो अपनी हाजिर जवाबी और तेज़ दिमाग से दूसरे को पस्त कर देते थे। और इसीलिए वो कहते हैं की अगर आप अपने मन को इस बात से feed करोगे की आप weak हो तो आप weak बन जायेगे। इससे बचना है तो खुद के मन में अपनी एक मजबूत image बनाओ। ये सोचो की आप कुछ भी कर सकते हो।
Lesson 5: A Strong Character can be built only after a thousand stumbles.
एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारों मुश्किलें और परेशानियां झेलने के बाद होता है।
स्वामी विवेकानंद का मानना था की बिना struggles के life का कोई meaning नही, कोई मतलब नहीं।
वो कहते थे की जिस दिन आपकी life में कोई problem नही आई और सब अच्छा गया, उस दिन आप समझ लेना की आप गलत रास्ते पर हो। यानि यहां वो कहना चाहते हैं कि बिना मुश्किलों के सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती।
इसके साथ इस quote में स्वामी जी character की importance को भी बताते हैं। अब कुछ लोगो को ये ही clear नही होता की character आखिर होता क्या है?
तो इस पर स्वामी जी बताते हैं कि Repeated Habits make Character, यानि आपकी आदतें ही आपके character को shape देती हैं।
जो काम आप बार बार करते हो, वही आपके character को बनाता या बिगड़ता है। जैसे अगर एक इंसान हर दिन शराब पीता है, तो ये उसकी एक बुरी habit है और इस बुरी habit की वजह से उस इंसान का character भी बुरा हो जाएगा। उसके character पर एक शराबी होने की छाप पड़ जायेगी।
वहीं अगर एक इंसान हर दिन exercise करता है, हर दिन वो अपने body और mind को strong बनाता है तो धीरे धीरे इसका असर उसके character पर भी पड़ेगा और वो एक अच्छे character का व्यक्ति बनेगा।
इसके बाद स्वामी विवेकानंद ये भी बताते हैं की एक strong character होना कितना जरूरी है।
वो कहते हैं की जब life में hard situations आती हैं तो पैसा, power और status से ज्यादा, आपका character आपके काम आता है। इसीलिए अगर एक strong character को build करना है तो अपनी habits को सही करो।
बुरी आदते कैसे छोड़े, इसपर मैने already एक video बनाया हुआ है, link आपको description में मिल जायेगा, वो video जरूर देखना।
Lesson 6: The fire that warms us can also consume us; it is not the fault of the fire.”
“जो आग हमे गर्मी देती है, वो हमे जला कर भस्म भी कर सकती है, पर उसमे गलती आग की नही”
स्वामी जी के इस quote के 2 मतलब हो सकते हैं, पहला तो ये की वो कहना चाहते है की हमे कभी भी किसी चीज को हद से ज्यादा नहीं करना चाहिए, यानी extreme में नही जाना चाहिए, क्योंकि अगर आप कोई काम excessive करते हो, बहुत ज्यादा करते हो तो आपको उसके फायदे से ज्यादा नुकसान उठने पड़ेंगे।
जैसे आपने अक्सर सुना या पढ़ा होगा की silence is very powerful, जो की सच भी है, silence एक अच्छी चीज है। पर अब मान लो आप बिल्कुल silent ही हो जाते हो।
कोई आपके साथ कुछ भी करता है, कुछ भी कहता है, आप कुछ बोलते ही नही। आपके सामने अगर कोई गलत भी करता है तब भी आप गलत के खिलाफ आवाज नही उठाते।
तो ऐसे में आपका ये extreme silence आपको जला देगा, आपको बर्बाद कर देगा। इसी तरह से अगर आप कोई भी काम हद से ज्यादा करोगे तो आपको उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
इसका दूसरा मतलब ये हो सकता है की स्वामी जी कहना चाहते है कि जिंदगी में कोई भी चीज अच्छी या बुरी नही होती, बल्कि आप उसको किस तरह से use करते हैं ये decide करता है की आपको उस चीज का अच्छा result मिलेगा या बुरा।
For example, Bike एक बहुत ही अच्छा vehicle है, आप कही भी आसानी से आ जा सकते हो। तो अब मान लो दो लोग एक ही तरह की bike लेकर roads पर निकलते हैं।
एक इंसान को bike चलाना अच्छे से आता है वहीं दूसरे इंसान को bike अच्छे से चलाना नहीं आता। तो अब वही same bike एक इंसान को उसकी मंजिल तक पहुंचाएगी और वही bike शायद एक इंसान को hospital भी पहुंचा देगी या हो सकता है उसकी जान भी लेले।
अब इसमें गलती bike की नही, ना bike अच्छी है न बुरी। इसी तरह से हमारी life भी है। आपने अक्सर ऐसे लोगो को देखा होगा जो जिंदगी को ही दोष देते हैं कि “साला, अपना तो जिंदगी ही खराब है!”
पर स्वामी जी कहते हैं वो लोग बिल्कुल गलत है, जिंदगी एक आग की तरह है, अगर सही तरह से इस्तेमाल करोगे तो गर्मी देगी, शांति और सुकून देगी। और गलत तरह से इस्तेमाल करोगे तो जला कर खतम कर देगी। इसीलिए किसी दूसरी चीज को अच्छा या बुरा बताने की बजाए, खुद अच्छे काम करने की कोशिश करो।
Lesson 7:- “Be Fearless, Fear is death, fear is sin, fear is hell, fear is unrighteousness, fear is wrong life. The moment you are fearless, you are in the heaven”
निडर रहो, डरना मौत है, डरना पाप है, डर नर्क है, डरना अधर्म है, डर के साथ जीना एक गलत जीवन है.
स्वामी विवेकानंद ने सबसे ज्यादा जोर इस एक बात पर ही दिया था, वो कहते थे कि इस जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है निडर होना. डर ही सभी दुखो का कारण है. अगर आप आज कि दुनिया में देखो तो हर इंसान को उसके fears ही control करते है. स्वामी विवेकानंदा हर तरह के डर को दिमाग से निकाल देने को कहते हैं. वो कहते हैं कि एक दिन सभी को मरना है, इसलिए डरने का कोई फायदा नहीं है.
वो अपनी जिंदगी की एक कहानी भी सुनाते हैं ताकि लोग उनकी बात को समझ सके.
बात तब कि है जब स्वामी विवेकानंद काशी में यात्रा के लिए गए हुए थे, वो एक पतली गली से गुजर रहे थे तभी कुछ बंदरो ने उन्हें घेर लिया और उनकी तरफ आंगे बढ़ने लगे, विवेकानंद को उस समय कुछ समझ नहीं आया तो उस गली से बाहर की तरफ भागने लगे.
और जैसे ही वो बाहर कि तरफ भागे तो सारे बन्दर भी उनकी तरफ भागने लगे. स्वामी जी आगे आगे और बन्दर उनके पीछे पीछे. वो बन्दर उनका पीछा छोड़ ही नहीं रहे थे कि तभी वहां रहने वाले एक बाबा जी ने स्वामी जी से कहा, “स्वामी जी, भागो मत! डंडा उठाओ और बंदरो कि तरफ आगे बढ़ो.
स्वामी जी ने ऐसा ही किया, उन्होंने डंडा उठाया और साहस जुटाकर वो बंदरो कि तरफ बढ़ दिए. स्वामी जी को अपनी ओर बढ़ता देख सभी बन्दर उनसे डर के भाग गए. तो स्वामी जी भी अपने students को यही कहा करते थे कि अगर तुम डर से डरोगे तो डर तुम्हे और डराएगा. लेकिन अगर तुम डर से नहीं डरते तो डर तुमसे डरने लगता है.
इसलिए हमेशा खुद को बोलो “i am fearless and i am more terrible and dangerous than the fear”
तो ये थे स्वामी विवेकानन्द के बताये हुए वो 7 क्रांतिकारी life lessons जिनको अगर आप अपनी जिंदगी में अपना लेते हो तो आप खुद में और अपनी life में एक फर्क महसूस करोगे.